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This is a revered bhajan and prayer in praise of Lord Shiva, glorifying his divine Linga form, which is a symbol of the supreme power that eliminates all suffering and bestows peace, prosperity, and spiritual awakening. It has immense spiritual significance and is believed to grant liberation to devotees who recite it with devotion.
Lingashtakam (लिंगाष्टकम्) का एक अद्भुत और शक्तिशाली स्तोत्र है, जिसे भगवान शिव की उपासना के लिए गाया जाता है। इस स्तोत्र में भगवान शिव के लिंग रूप की महिमा का वर्णन है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को शुद्ध करने और शांति देने में सहायक होता है।
लिंगाष्टकम् – हिंदी में (Lingashtakam Lyrics in Hindi)
1. ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिंगं
निर्मलभासित शोभित लिंगम्।
जन्मज दुःख विनाशक लिंगं
तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम्।
(शिव के लिंग रूप की पूजा का महत्व और जीवन के दुःखों का नाश करने वाली शक्ति।)
2. देवमुनि प्रवरार्चित लिंगं
कामदहन करुणाकर लिंगम्।
रावण दर्प विनाशन लिंगं
तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम्।
(यह लिंग देवों और ऋषियों द्वारा पूजा जाता है, जो दुखों और अहंकार को नष्ट करने वाला है।)
3. सर्व सुगंध सुलेपित लिंगं
बुद्धि विवर्धन कारण लिंगम्।
सिद्ध सुरासुर वंदित लिंगं
तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम्।
(यह लिंग बुद्धि और ज्ञान को बढ़ाने वाला है, और सभी देवताओं की पूजा का पात्र है।)
4. कनक महामणि भूषित लिंगं
फणिपति वेष्टित शोभित लिंगम्।
दक्षसुयज्ञ विनाशन लिंगं
तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम्।
(यह लिंग सोने और मणियों से अलंकृत है, और यज्ञों के विनाश को समाप्त करने वाला है।)
5. कुंकुम चंदन लेपित लिंगं
पंकज हार सुशोभित लिंगम्।
संचित पाप विनाशन लिंगं
तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम्।
(यह लिंग चंदन और कुंकुम से सुशोभित है, जो पापों के समूल नाश के लिए पूजा जाता है।)
6. देवगणार्चित सेवित लिंगं
भावै-र्भक्तिभिरेव च लिंगम्।
दिनकर कोटि प्रभाकर लिंगं
तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम्।
(यह लिंग देवों द्वारा पूजा जाता है और लाखों सूर्य की तरह प्रकाशमान है।)
7. अष्टदळोपरिवेष्टित लिंगं
सर्वसमुद्भव कारण लिंगम्।
अष्टदरिद्र विनाशन लिंगं
तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम्।
(यह लिंग अष्टदल कमल के रूप में है, और यह दरिद्रता को समाप्त करने वाला है।)
8. सुरगुरु सुरवर पूजित लिंगं
सुरवन पुष्प सदार्चित लिंगम्।
परमपदं परमात्मिक लिंगं
तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम्।
(यह लिंग गुरु और देवताओं द्वारा पूजा जाता है और यह परमात्मा का स्वरूप है।)
अंतिम श्लोक:
लिंगाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेश्शिव सन्निधौ
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते।
(जो भी व्यक्ति इस लिंगाष्टकम् का पाठ करता है, वह शिवलोक को प्राप्त करता है और भगवान शिव के साथ मोक्ष का आनंद प्राप्त करता है।)
लिंगाष्टकम् – पूरी जानकारी और लाभ
विषय | विवरण |
---|---|
नाम | लिंगाष्टकम् (Lingashtakam) |
रचनाकार | यह स्तोत्र अज्ञात ऋषि द्वारा रचित माना जाता है। |
प्रमुख deity | भगवान शिव |
लिंगाष्टकम् का महत्व | – भगवान शिव के लिंग रूप की पूजा। – पापों का नाश और जीवन में शांति प्राप्ति। – आध्यात्मिक उन्नति और समृद्धि का स्रोत। |
लिंगाष्टकम् के लाभ | – आध्यात्मिक शांति: जीवन में शांति और सकारात्मकता आती है। – पापों का नाश: पापों का नाश करके मुक्ति प्राप्त होती है। – समृद्धि: भौतिक और मानसिक समृद्धि मिलती है। |
लिंगाष्टकम् के श्लोक | 8 श्लोक होते हैं जो भगवान शिव के लिंग रूप के विभिन्न गुणों का वर्णन करते हैं। |
पाठ विधि | – नियमित रूप से इस स्तोत्र का पाठ करें, विशेष रूप से सोमवार या महाशिवरात्रि जैसे विशेष दिन। – शिवलिंग की पूजा और शुद्धता के साथ पाठ करें। |
पाठ का समय | कम से कम 108 बार लिंगाष्टकम् का पाठ करें। |
लिंगाष्टकम् के श्लोकों का विश्लेषण | – पहला श्लोक: भगवान शिव के लिंग रूप की शुद्धता का वर्णन। – दूसरा श्लोक: रावण के अहंकार का विनाश और भगवान शिव की महिमा। – तीसरा श्लोक: ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि। – चौथा श्लोक: शिवलिंग के दर्शन से बुराईयों का नाश। |
लिंगाष्टकम् का महत्व | – जीवन के सभी संकटों का समाधान। – मानसिक शांति और आध्यात्मिक शांति प्राप्त करना। – किसी भी प्रकार के कष्ट से उबरने में मदद। |
कौन पढ़े? | जो व्यक्ति भगवान शिव की उपासना करना चाहते हैं और जीवन में शांति, समृद्धि और आशीर्वाद की प्राप्ति चाहते हैं। |
जो भक्त श्रद्धा और भक्ति से इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, और वह सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर परम शांति की ओर अग्रसर होता है। यह भजन भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है और उन्हें ईश्वर के साक्षात्कार की ओर ले जाता है।
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